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आपके बच्चों के पेट में दर्द रहता है, हो जाइए सावधान, राष्ट्रीय मुक्त दिवस पर स्कूलों में दी जा रही खुराक

राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस देहरादून के राजकीय बालिका इंटर कॉलेज में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) द्वारा एक राज्य स्तरीय जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया. इस अभियान का मुख्य उद्देश्य बच्चों को पेट के कीड़े (कृमि संक्रमण) से होने वाली स्वास्थ्य समस्याओं से सुरक्षित करना है.बच्चों को कृमि संक्रमण से बचाने के लिए एल्बेंडाजोल की खुराक देने के लिए देहरादून में राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस पर जागरूक किया 

राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस पर कार्यक्रम का महत्वपूर्ण लक्ष्य राज्य के बच्चों, किशोरों और किशोरियों के पोषण स्तर और जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाना है. कृमि संक्रमण बच्चों के स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव डाल सकता है, जिससे उनके विकास में बाधा आ सकती है. इसके नियंत्रण के लिए एल्बेंडाजोल की खुराक को एक प्रभावी और सुरक्षित उपाय माना जाता है. इस अभियान के अंतर्गत राज्य के सभी स्कूलों, तकनीकी महाविद्यालयों, कोचिंग सेंटरों, आंगनबाड़ी केंद्रों और मलिन बस्तियों में रहने वाले प्रत्येक बच्चे को शामिल किया जा रहा है , ताकि सभी को कृमि मुक्ति का लाभ मिल सके.

राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवसपेट दर्द, दस्त, मतली का मतलब हो सकती है कृमि समस्या:

अगर आपके बच्चे को अक्सर पेट में दर्द रहता है, लूज मोशन (दस्त) आते रहते हैं, या मतली (जी मिचलाना) की शिकायत रहती है, जिससे वह हमेशा परेशान रहता है, तोसतर्क  हो जाइए. ऐसे बच्चों के पेट में कृमि हो सकते हैं. एनएचएम यानी राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (National Health Mission) द्वारा बच्चों के पेट में होने वाले कीड़ों के खिलाफ एक विशेष अभियान चलाया जा रहा है – स्वाती एस भदौरिया (निदेशक, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन).

कृमि मुक्ति दिवस पर एनएचएम की पहल:

स्वाति एस भदौरिया ने आगे बताया कि इसके अतिरिक्त, सभी स्कूलों में बच्चों की पूरी उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक प्रयास भी किए जाएंगे, ताकि अधिक से अधिक बच्चों को एल्बेंडाजोल की दवा खिलाई जा सके और उन्हें कृमि संक्रमण से बचाया जा सके. यह पहल बच्चों के स्वस्थ भविष्य के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है
झरना कामठान का आह्वान: कृमि मुक्त भारत के लिए व्यापक अभियान

विद्यालयी शिक्षा की महानिदेशक झरना कामठान ने इस अवसर पर उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि भारत सरकार द्वारा संचालित यह एक अनोखा और महत्वपूर्ण अभियान है, जिसका मुख्य लक्ष्य बच्चों, बालिकाओं, किशोरों और किशोरियों को कृमि संक्रमण से पूरी तरह मुक्त करना है। उन्होंने विशेष रूप से ज़ोर देते हुए कहा कि जो बच्चे किसी भी स्कूल या आंगनबाड़ी केंद्र में पंजीकृत नहीं हैं, उन्हें शहरी विकास विभाग, आईसीडीएस (ICDS – एकीकृत बाल विकास सेवाएँ), और आशा बहनों के सक्रिय सहयोग से चिन्हित किया जाएगा। इस अभियान की सफलता के लिए आउटरीच कैंपों का आयोजन किया जाएगा, जिसके माध्यम से सभी पात्र बच्चों को कृमिनाशक दवा प्रदान की जाएगी।
उत्तराखंड में 36 लाख बच्चों को मिलेगी एल्बेंडाजोल की खुराक: कृमि मुक्ति अभियान

उत्तराखंड राज्य के सभी 13 जिलों में एक महत्वपूर्ण स्वास्थ्य पहल के तहत, 1 वर्ष से 19 वर्ष तक की आयु के 36 लाख से अधिक बच्चों और किशोरों को पेट के कीड़ों (कृमि संक्रमण) से बचाने के लिए एल्बेंडाजोल की 400 मिलीग्राम की खुराक दी जाएगी। इस कृमि मुक्ति अभियान की सफल तैयारी के लिए सभी स्कूलों और शिक्षण संस्थानों के नोडल शिक्षकों और स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को विशेष प्रशिक्षण प्रदान किया गया है।

एल्बेंडाजोल खुराक के मामूली दुष्प्रभाव:

इस स्वास्थ्य कार्यक्रम में उपस्थित बालिकाओं को यह भी जानकारी दी गई कि एल्बेंडाजोल की खुराक के दुष्प्रभाव (साइड इफेक्ट) बहुत ही कम होते हैं। ये मुख्य रूप से उन बच्चों में देखे जा सकते हैं जिनमें गंभीर कृमि संक्रमण होता है। यदि किसी बच्चे द्वारा एल्बेंडाजोल का सेवन करने के बाद कोई दुष्प्रभाव सामने आते हैं, तो उनसे प्रभावी ढंग से निपटने के लिए सभी जिला और ब्लॉक स्तर पर राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम की मोबाइल टीमें और 104 व 108 हेल्पलाइन सेवाओं को सक्रिय रखा गया है।

PHOTO – Social Media

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