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उत्तराखण्ड रेल कनेक्टिविटी विस्तार: मुख्य सचिव ने रेलवे बोर्ड अध्यक्ष से नई दिल्ली में की महत्वपूर्ण चर्चा

इस महत्वपूर्ण मुलाकात से उत्तराखण्ड में रेल कनेक्टिविटी को मजबूत करने और नई रेल परियोजनाओं को गति देने की उम्मीदें बढ़ गई हैं। रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष ने मुख्य सचिव को इन महत्वपूर्ण प्रस्तावों पर सकारात्मक विचार करने का आश्वासन दिया है।

उत्तराखण्ड रेल कनेक्टिविटी विस्तार: नई दिल्ली – उत्तराखण्ड में रेल नेटवर्क को और अधिक सुदृढ़ करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, राज्य के मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन ने नई दिल्ली में रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी सतीश कुमार से मुलाकात की। इस बैठक में उत्तराखण्ड में नई रेल परियोजनाओं के शीघ्र क्रियान्वयन, वर्तमान में संचालित परियोजनाओं की प्रगति और पूर्व में प्रस्तावित रेल योजनाओं पर विस्तृत चर्चा हुई।

मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन ने रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष को उत्तराखण्ड में चल रही और प्रस्तावित रेल परियोजनाओं की विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने बताया कि वर्तमान में राज्य में कुल पांच रेल परियोजनाएं हैं, जिनमें बहुप्रतीक्षित ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन सहित दो परियोजनाएं प्रगति पर हैं। इसके अतिरिक्त, तीन महत्वपूर्ण प्रस्तावित रेल परियोजनाएं भी राज्य के रेल विकास के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।

मुख्य सचिव ने गंगोत्री यमुनोत्री रेल परियोजना का विशेष उल्लेख किया, जिसकी कुल दूरी 121.76 किमी है और जिसमें 10 स्टेशन प्रस्तावित हैं। उन्होंने बताया कि इस महत्वपूर्ण परियोजना का सर्वेक्षण कार्य पूर्ण हो चुका है और डीपीआर (विस्तृत परियोजना रिपोर्ट) रेलवे बोर्ड को सौंप दी गई है। वर्तमान में इस परियोजना पर रेलवे बोर्ड से अनुमोदन की प्रतीक्षा है।

इसके अतिरिक्त, टनकपुर बागेश्वर रेल परियोजना, जिसकी कुल लंबाई 170.70 किमी है और जिसमें 12 स्टेशन प्रस्तावित हैं, पर भी विस्तृत चर्चा हुई। मुख्य सचिव ने अवगत कराया कि इस परियोजना का सर्वेक्षण कार्य भी सफलतापूर्वक पूरा कर लिया गया है और डीपीआर रेलवे बोर्ड को प्रस्तुत कर दी गई है। इस परियोजना के लिए भी रेलवे बोर्ड के अनुमोदन का इंतजार है।

देहरादून -सहारनपुर रेल परियोजना, जिसकी कुल दूरी 92.60 किमी है और जिसमें 8 स्टेशन प्रस्तावित हैं, की प्रगति पर भी चर्चा हुई। मुख्य सचिव ने बताया कि इस महत्वपूर्ण रेल लाइन का सर्वेक्षण कार्य तेजी से आगे बढ़ रहा है।

बैठक के दौरान, हरिद्वार-देहरादून रेलवे लाइन के दोहरीकरण की आवश्यकता और देहरादून के हर्रावाला रेलवे स्टेशन के विकास पर भी गहन विचार-विमर्श किया गया। इसके अतिरिक्त, मेरठ से हरिद्वार तक रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (RRTS) के विस्तार की संभावनाओं पर भी सकारात्मक चर्चा हुई, जिससे इस क्षेत्र में कनेक्टिविटी और भी बेहतर हो सकेगी।

मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन ने रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष को उत्तराखण्ड के पर्वतीय क्षेत्रों में रेल नेटवर्क के विस्तार के महत्व से अवगत कराया। उन्होंने जोर देकर कहा कि दुर्गम पहाड़ी क्षेत्रों को रेल कनेक्टिविटी से जोड़ना राज्य के औद्योगिक, आर्थिक और सामाजिक विकास के लिए अत्यंत आवश्यक है। इसके अतिरिक्त, विश्व प्रसिद्ध चार धामों और अन्य तीर्थ स्थलों पर वर्ष भर श्रद्धालुओं के सुगम आवागमन को सुनिश्चित करने और राज्य के सामरिक महत्व को देखते हुए रेलवे के बुनियादी ढांचे का विकास उत्तराखण्ड के लिए प्राथमिकता है।

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Photo – DIPR Uttrakhand

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